युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
युवराज सिंह का जन्म 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़ में हुआ। उनके पिता योगराज सिंह पूर्व क्रिकेटर थे, जिन्होंने युवराज को खेल की ओर प्रेरित किया।
खेलों में रुचि
बचपन में युवराज को टेनिस और रोलर स्केटिंग में रुचि थी। उन्होंने स्केटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीते, लेकिन बाद में उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट की ओर अग्रसर किया।
युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
युवराज ने अंडर-19 वर्ल्ड कप 2000 में शानदार प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया। उनका वनडे डेब्यू 3 अक्टूबर 2000 को केन्या के खिलाफ हुआ।
👉 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी में मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर ऐतिहासिक जीत दिलाई।
👉 2007 टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंदों में 6 छक्के लगाए।
👉 2011 वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे।
बीमारी का पता चलना
2011 वर्ल्ड कप के बाद युवराज को मेडियास्टिनल सेमिनोमा नामक कैंसर होने का पता चला।
उन्होंने अमेरिका में इलाज कराया और कीमोथेरेपी के कठिन दौर से गुज़रे।
उन्होंने हार नहीं मानी और 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दमदार वापसी की। उनकी वापसी ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
इस पुस्तक में युवराज ने अपने जीवन संघर्ष, कैंसर से लड़ाई और क्रिकेट करियर के अनुभव साझा किए हैं।
इस पुस्तक में युवराज ने अपने कैंसर से संघर्ष, क्रिकेट की उपलब्धियाँ, और आत्मिक चुनौतियों को बेहद ईमानदारी से लिखा है।
यह आत्मकथा न केवल क्रिकेट प्रेमियों बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन में कठिन चुनौतियों से जूझ रहा है।
युवराज सिंह की आत्मकथा: संघर्ष, सफलता और संकल्प की कहानी
युवराज सिंह ने हेज़ल कीच से 2016 में विवाह किया। वे YouWeCan Foundation के माध्यम से कैंसर पीड़ितों की मदद भी करते हैं।
युवराज सिंह की आत्मकथा यह सिखाती है कि कैसे एक खिलाड़ी मैदान के बाहर भी लड़कर जीत सकता है। उनका जीवन साहस, समर्पण और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

