माला में 108 मनके क्यों होते हैं और महत्व, mala
नक्षत्र और चरण: वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्र बताए गए हैं। प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं। 27 times 4 = 108
इस प्रकार 108 संख्या सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय चक्र का प्रतिनिधित्व करती है। ग्रह और राशियाँ: 9 ग्रह और 12 राशियों का गुणनफल भी 108 होता है। 9 times 12 = 108
सूर्य की कलाएँ: सूर्य की 108 कलाएँ मानी जाती हैं। माला के 108 दाने इन कलाओं के साथ साधक को जोड़ते हैं।
सांसों का चक्र: एक दिन में मनुष्य लगभग 21,600 बार सांस लेता है। यदि हर 100 सांस पर ईश्वर का स्मरण किया जाए तो कुल 216 बार जप होगा। इसे 2 से विभाजित करने पर 108 आता है।
योग और ऊर्जा केंद्र: योगशास्त्र में कहा गया है कि शरीर में 108 प्रमुख ऊर्जा बिंदु (नाड़ी) होते हैं। माला के 108 दाने इन ऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करने का प्रतीक हैं।
पृथ्वी और सूर्य का संबंध: पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी सूर्य के व्यास की लगभग 108 गुना है। इसी प्रकार पृथ्वी और चंद्रमा का संबंध भी 108 से जुड़ा है। यह संख्या ब्रह्मांडीय संतुलन को दर्शाती है।
3. आध्यात्मिक महत्व
बौद्ध धर्म: बौद्ध परंपरा में भी 108 दोषों और 108 पुण्यों का उल्लेख मिलता है।
जैन धर्म: जैन साधना में 108 गुणों का वर्णन है।
योग: सूर्य नमस्कार में 108 बार अभ्यास करने की परंपरा है।
माला में 108 मनके क्यों होते हैं और महत्व, mala
5. व्यावहारिक दृष्टिकोण sanatan
मानसिक शांति: माला जपने से मन शांत होता है, इंद्रियाँ नियंत्रित होती हैं और ध्यान गहरा होता है।
अनुभवजन्य लाभ: साधक अनुभव करता है कि 108 बार जप करने से मन में स्थिरता और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
6. प्रतीकात्मक अर्थ
1 = ईश्वर या सत्य
0 = शून्यता या ब्रह्म
8 = अनंतता या अनंत चक्र
इस प्रकार 108 संख्या ईश्वर, ब्रह्म और अनंतता का संगम है।
जपमाला में 108 मनके इसलिए होते हैं क्योंकि यह संख्या वैदिक गणित, ज्योतिष, योग और आध्यात्मिक साधना में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। 108 का संबंध 27 नक्षत्रों के 4 चरणों, 9 ग्रहों और 12 राशियों, सूर्य की कलाओं और सांसों के चक्र से जुड़ा है। इसीलिए माला के 108 दाने साधक को पूर्णता, एकाग्रता और दिव्यता की ओर ले जाते हैं।
7. निष्कर्ष

