सनातन धर्म के पंचदेव मंत्र, पूजा विधि और सम्पूर्ण विवरण

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सनातन धर्म के पंचदेव मंत्र, पूजा विधि और सम्पूर्ण विवरण

सनातन धर्म के पंचदेव मंत्र, पूजा विधि और सम्पूर्ण विवरण

सनातन धर्म अत्यंत प्राचीन, गूढ़ और व्यापक जीवन-दर्शन है। इसमें ईश्वर को एक ही परम सत्य माना गया है, किंतु उसी परम सत्ता की उपासना विभिन्न रूपों में की जाती है। इसी परंपरा में पंचदेव उपासना का विशेष स्थान है। पंचदेव का अर्थ है पाँच प्रमुख देवताओं की सामूहिक पूजा, जिनके माध्यम से सनातन धर्म के विभिन्न मार्गों, शक्तियों और तत्त्वों का संतुलन स्थापित होता है।

आदि शंकराचार्य द्वारा पंचदेव उपासना को सुव्यवस्थित रूप प्रदान किया गया, ताकि विभिन्न संप्रदायों में एकता बनी रहे। ये पंच देवता हैं – भगवान विष्णु, भगवान शिव, देवी शक्ति (दुर्गा/पार्वती), भगवान गणेश और भगवान सूर्य।

पंचदेव उपासना का मूल उद्देश्य यह बताना है कि:

ईश्वर एक है, पर उसके रूप अनेक हैं। अलग-अलग स्वभाव और प्रवृत्ति के व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार ईश्वर की उपासना कर सकते हैं। पंचदेव मिलकर सृष्टि के पाँच प्रमुख तत्त्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
 देवता   तत्त्व        अर्थ            

गणेश    पृथ्वी     स्थिरता, बुद्धि 

विष्णु    जल         पालन, करुणा     

शिव     आकाश     संहार व वैराग्य 

शक्ति   अग्नि      ऊर्जा, सृजन     

सूर्य    वायु/तेज  जीवन, चेतना     

1. भगवान गणेश
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और शुभारंभ के अधिष्ठाता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले गणपति पूजन अनिवार्य माना गया है।
स्वरूप और प्रतीक
हाथी का मस्तक – विवेक और स्मरण शक्ति, बड़ा उदर – समस्त सृष्टि का समावेश, एक दंत – त्याग का प्रतीक,
गणेश मंत्र बीज मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे ।
वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ॥
गणेश पूजा विधि
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, चौकी पर गणेश प्रतिमा स्थापित करें, दूर्वा, लाल पुष्प, मोदक अर्पित करें
मंत्र जप (108 बार), आरती और क्षमा प्रार्थना
फल
बुद्धि-वृद्धि, कार्य में सफलता, बाधाओं का नाश:
2. भगवान विष्णु
भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता कहा गया है। वे धर्म की रक्षा हेतु समय-समय पर अवतार लेते हैं।
प्रमुख अवतार
मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि
विष्णु मंत्र
मूल मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे ।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
विष्णु पूजा विधि
पीले वस्त्र धारण करें, शंख, चक्र, गदा, पद्म का ध्यान, तुलसी दल अर्पित करें,विष्णु सहस्रनाम का पाठ:
फल
मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, मोक्ष मार्ग की प्राप्ति,
3. भगवान शिव
भगवान शिव को संहारक, योगी और वैराग्य का प्रतीक माना जाता है। वे भोलेनाथ हैं – शीघ्र प्रसन्न होने वाले।स्वरूप त्रिनेत्र – ज्ञान, जटा – तपस्या, त्रिशूल – तीन गुणों का नियंत्रण
शिव मंत्र
पंचाक्षरी मंत्र
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
शिव पूजा विधि
प्रातःकाल जल या दूध से अभिषेक, बेलपत्र अर्पण, मंत्र जप (108 बार), शिव आरती, फल, रोगों से मुक्ति, भय नाश
आध्यात्मिक उन्नति:
4. देवी शक्ति (दुर्गा / पार्वती)
देवी शक्ति को समस्त ऊर्जा और सृजन की जननी माना गया है। वे शक्ति, करुणा और संरक्षण का स्वरूप हैं।
प्रमुख रूप
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली, पार्वती
शक्ति मंत्र
बीज मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
दुर्गा गायत्री मंत्र
ॐ गिरिजायै विद्महे ।
शिवप्रियायै धीमहि ।
तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्
देवी पूजा विधि
लाल वस्त्र और लाल पुष्प, दीप, धूप, नैवेद्य अर्पण, दुर्गा सप्तशती का पाठ:
फल
शक्ति और आत्मविश्वास, शत्रु नाश, पारिवारिक सुरक्षा:
5. भगवान सूर्य
भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देव कहा गया है। वे जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य के मूल स्रोत हैं।
सूर्य मंत्र
सूर्य बीज मंत्र                                                       (सनातन धर्म के पंचदेव मंत्र, पूजा विधि और सम्पूर्ण विवरण)
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः त्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
सूर्य पूजा विधि
प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य, तांबे के पात्र से जल अर्पण, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ:
फल
उत्तम स्वास्थ्य, आत्मबल, तेज और यश:

पंचदेव उपासना का महत्व

जीवन में संतुलन, सभी देवताओं का समान सम्मान, गृहस्थ और साधक दोनों के लिए उपयुक्त:
 निष्कर्ष
सनातन धर्म के पंच देवता मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को संतुलित करते हैं। गणेश बुद्धि देते हैं, विष्णु पालन करते हैं, शिव संहार कर नवीनता लाते हैं, शक्ति ऊर्जा प्रदान करती हैं और सूर्य जीवन का संचार करते हैं। पंचदेव उपासना से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से पूर्ण होता है।
भविष्य पुराण – भगवान विष्णु, शिव, देवी और गणेश के साथ धार्मिक चित्र

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