दुर्गा माँ की दिव्य शक्ति से उत्पन्न ‘दुर्दन्त देव’ Durant Dev
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के अनगिनत स्वरूप हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों में मानवता के रक्षक बनकर प्रकट होते हैं। जब अधर्म, पीड़ा, भय और नकारात्मक शक्तियाँ बढ़ती हैं, तब दिव्य शक्तियाँ किसी विशेष रूप में अवतरित होकर धर्म की रक्षा करती हैं। इन्हीं दिव्य रूपों में शक्ति-साधना परंपरा में वर्णित “दुरन्त देव” का उल्लेख मिलता है।
“दुरन्त” शब्द का अर्थ: अजेय, जिसे रोका न जा सके, अत्यंत शक्तिशाली, बाधा-विनाशक।
इसलिए दुरन्त देव को बाधा-नाशक, संकट-हरण करने वाले और दुर्गा माँ की दिव्य शक्ति से उत्पन्न योद्धा रूप माना जाता है।
👉 दुरन्त देव का जन्म : एक रहस्यमयी कथा
कथा के अनुसार, जब प्राचीन काल में राक्षसी शक्तियाँ अत्यंत प्रबल हो गईं, ऋषियों के यज्ञ नष्ट किए जाने लगे, और देवगण असहाय हो गए—तब सभी देव माँ दुर्गा के चरणों में उपस्थित हुए।
देवताओं ने प्रार्थना की—
दुर्गा माँ की दिव्य शक्ति से उत्पन्न ‘दुर्दन्त देव’ Durant Dev
देवी ने ध्यान लगाया। उनके तेज का एक अंश प्रचंड प्रकाश के रूप में बाहर निकला। वह प्रकाश अग्नि-लाल, स्वर्ण-पीला और नील प्रबलता से चमक रहा था। दिशाएँ गूँज उठीं, पृथ्वी काँपने लगी, और उस दिव्य तेज से एक अत्यंत बलशाली देव रूप प्रकट हुआ—
👉 दुरन्त देव
उनका दिव्य स्वरूप—
• तेजोमय शरीर
• अग्नि समान लाल नेत्र
• बलशाली भुजाएँ
• हाथों में परशु, त्रिशूल और दिव्य धनुष
“जाओ पुत्र! तुम अजेय हो। संसार की हर बाधा, भय और दुष्टता का नाश करो। क्योंकि तुम मेरे तेज से उत्पन्न हुए हो।”
इस प्रकार दुरन्त देव का जन्म धर्म रक्षा और बाधा-नाश के उद्देश्य से हुआ।
👉 दुरन्त देव का उद्देश्य : मनुष्य जीवन में भूमिका
1. बाधा-नाशक
अचानक रुकावट, भय, नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा—इनसे रक्षा करते हैं।
2. साहस और दृढ़ता देने वाले देव
जब मनुष्य हिम्मत हारने लगता है, तब दुरन्त देव अदम्य साहस भरते हैं।
3. मार्ग प्रशस्त करने वाले
जब प्रयास के बाद भी रास्ता न खुल रहा हो, दुरन्त देव मार्ग दिखाते हैं।
4. आध्यात्मिक सुरक्षा के रक्षक
साधकों, मंत्र-जाप करने वालों और ध्यानियों की रक्षा करते हैं।
दुर्गा माँ की दिव्य शक्ति से उत्पन्न ‘दुर्दन्त देव’ Durant Dev
👉 दुरन्त देव की महिमा
1. दुष्ट शक्तियों का नाश
इनकी उपासना से एक दिव्य सुरक्षा कवच बनता है, जो नकारात्मक ऊर्जा, तांत्रिक दोष और बुरी नजर से बचाता है।
2. मनोबल और संकल्प शक्ति बढ़ाना
दुरन्त देव का स्मरण संकल्प को दृढ़ कर देता है।
3. अचानक संकटों को रोकना
कथाओं के अनुसार भक्तों को बड़े मगर अनहोनी संकटों से बचाते हैं।
4. कार्य सिद्धि
जब रास्ते बंद हों, दुरन्त देव की साधना से मार्ग खुलते हैं।
👉 दुरन्त देव का ध्यान रूप
• सुनहरा तेजस्वी शरीर
• त्रिशूल और परशु धारण किए
• कंधों से निकलता दिव्य प्रकाश
• सिंह वाहन पर आरूढ़
• पीले-लाल प्रभामंडल से घिरे
👉 दुरन्त देव के मंत्र
1. मूल मंत्र:
“ॐ दुरन्ताय नमः।”
2. शक्ति कवच मंत्र:
“ॐ दुं दुर्गायै दुरन्त-तेजस्विने स्वाहा।”
3. कार्य सिद्धि मंत्र:
“ॐ ह्रीं दुरन्ताय सर्व-विघ्न-विनाशाय नमः।”
👉 दुरन्त देव पूजा विधि
समय: मंगलवार, शुक्रवार या नवरात्रि प्रातः 5–7
स्थान: स्वच्छ पूजा स्थान
सामग्री: लाल आसन, दीपक, लाल पुष्प, जल, कपूर
पूजा चरण:
1. मन शांत करें
2. संकल्प करें – “हे दुरन्त देव! बाधाएँ दूर करें।”
3. दीपक जलाएँ
4. जल अर्पित करें
5. 108 बार मूल मंत्र
6. 21 बार कार्य-सिद्धि मंत्र
7. ध्यान
8. आभार
👉 दुरन्त देव से जुड़े अनुभव
• भय का तुरंत शांत होना
• मार्ग का स्वयं खुल जाना
• नकारात्मक ऊर्जा का नाश
• यात्राओं में सुरक्षा का अनुभव
समापन
दुरन्त देव दुर्गा माँ के तेज का वह दिव्य रूप हैं, जो संकटों को भेदकर मार्ग प्रशस्त करता है, मन को निर्भय बनाता है और जीवन की बाधाएँ दूर करता है।

