सामवेद – सम्पूर्ण विस्तृत विवरण (Sam Veda / Sāmaveda)

Sanatan Diary
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 सामवेद – सम्पूर्ण विस्तृत विवरण (Sam Veda / Sāmaveda)

सामवेद सम्पूर्ण विस्तृत विवरण (Sam Veda / Sāmaveda)
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1. प्रस्तावना : सामवेद क्या है:- सामवेद वेदों में दूसरा वेद है, जिसे "गान का वेद", "संगीत का वेद", "उच्चारण का वेद", "उपासना का वेद" कहा जाता है।
चार वेदों—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में से सामवेद का कार्य मंत्रों को संगीतात्मक रूप में गाना है।
ऋग्वेद के अधिकांश ऋचाओं को गान-रूप (melodic form) में बदलकर जो वेद बना, वही सामवेद है। 

इसलिए इसे ऋग्वेद की संगीतात्मक अभिव्यक्ति भी कहा जाता है। सामवेद का पूरा आधार उच्चारण (स्वर), लय, ताल, संगीत और स्तोत्र-गायन है। भारत में संगीत शास्त्रीय, लोक, ध्रुपद, गीत, राग किसी भी रूप में हो, उसकी जड़ें सामवेद में पाई जाती हैं।

2. सामवेद का महत्व:- सामवेद केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि
✔ भारतीय संगीत का आदि-स्त्रोत
✔ यज्ञों की गायन परंपरा
✔ स्वर-विज्ञान
✔ आध्यात्मिक अनुभव
✔ मनोविज्ञान और ध्यान
✔ मंत्र-शक्ति
✔ ध्वनि का विज्ञान
✔ ब्रह्मविद्या की परंपरा, का मूल स्रोत है।

इसे "गीतोपयोगी वेद" कहा गया है क्योंकि हिंदू धर्म में होने वाले सोमा-यज्ञ और अन्य बड़े अनुष्ठानों में सामवेद के गायन की अनिवार्यता थी।

3. सामवेद की उत्पत्ति:- सामवेद की संहिता मूलतः ऋग्वेद की ऋचाओं पर आधारित है। सामवेद में कुल
✔ 1875 मन्त्र (पुराने मतों में)
✔ 1549 मन्त्र (आधुनिक मान्य मत)
कहें जाते हैं, पर इनमें से 95% मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं। कहने का अर्थ, ऋग्वेद = मूल मंत्र, 

सामवेद = उन्हीं मंत्रों का संगीतात्मक गान
ऋग्वेद देवताओं का स्तवन करता है, और सामवेद उसी स्तुति को गायन और राग स्वरूप बनाता है।
4. सामवेद का मुख्य उद्देश्य:- 

(1) यज्ञों में संगीत द्वारा ऊर्जा निर्माण सामवेद की ध्वनि-तरंगें यज्ञ के वातावरण को ऊर्जस्वित करती हैं।

(2) मंत्रों का सत्य लय में उच्चारण ध्वनि, लय, स्वर और उच्चारण के वैज्ञानिक नियमों का पालन कराना।

(3) गायन द्वारा मानसिक शुद्धि सामगानों को सुनने और गाने से मन की चंचलता हटती है।

(4) देवताओं का आह्वान विशेष स्वर और गति से देवताओं को प्रसन्न करना।

(5) भारतीय संगीत की नींव तैयार करना आज के हिंदुस्तानी व कर्नाटिक संगीत की जड़ें सामवेद के स्वरों में हैं।

5. सामवेद की संरचना (Structure of Sam Veda):- सामवेद चार प्रमुख भागों में विभाजित माना जाता है
1. संहिता (Saṁhitā)
2. ब्राह्मण (Brāhmaṇa)
3. आरण्यक (Āraṇyaka)
4. उपनिषद (Upaniṣad)

इन चारों को मिलाकर सामवेद का संपूर्ण धर्म-ज्ञान, कर्मकांड, उपासना, ध्यान और अध्यात्म समझ आता है।

5.1 सामवेद संहिता:- सामवेद संहिता दो मुख्य भागों में बाँटी जाती है

(A) आर्चिक (Ārcika):- जिसमें मूल मंत्र और गान-योग्य पाठ दिया होता है। इसमें दो उपविभाग
गृह्य आर्चिक
षड्विंश आर्चिक

(B) गीत (Gāna):- जहाँ मंत्रों को संगीत और राग के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। इस भाग में उल्लेख है कि किस स्वर में मंत्र गाया जाएगा। गान भाग में
✔ 7 स्वर (सा-रे-ग-म-...) के आदिरूप
✔ प्रस्थ, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित
✔ विशिष्ट लय संरचना
✔ होम, यज्ञ, सोमयाग आदि के गायन नियम निर्धारित हैं।

5.2 सामवेद ब्राह्मण:- सामवेद से जुड़े प्रमुख ब्राह्मण ग्रंथ हैं ताण्ड्य ब्राह्मण (या पौष्ठिक ब्राह्मण), सबसे बड़ा ब्राह्मण ग्रंथ। यज्ञों में होने वाले गीत, स्तोत्र, नियम, यजमान, ऋत्विज आदि के कार्य बताते हैं। जैमिनीय ब्राह्मण, संहिता के गायन संबंधी रहस्यों का विस्तार देता है। सूक्ष्म स्वर-विज्ञान और प्रयोग इसमें वर्णित है। छान्दोग्य ब्राह्मण, जिसका एक बड़ा भाग छान्दोग्य उपनिषद में परिणत हुआ।

5.3 सामवेद आरण्यक:- वनों में रहने वाले ऋषियों के अध्ययन हेतु लिखे गए अध्यात्मप्रधान ग्रंथ

1. छान्दोग्य आरण्यक
2. जैमिनीय आरण्यक
इनमें ध्यान, उपासना, ब्रह्मविद्या, ओंकार-उपासना, प्राणरविद्या, मंत्र-तत्वज्ञान, जैसे विषयों का विस्तार है।

5.4 सामवेद उपनिषद:- सामवेद से मुख्यतः दो उपनिषद जुड़े हैं

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1. छान्दोग्य उपनिषद:- दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिक उपनिषद। इसमें "तत्त्वमसि" महावाक्य,उपासना, ओंकार, मैत्री, प्रेम, भक्ति, ध्यान, ब्रह्मज्ञान, जैसे विषय गहराई से बताए गए हैं।

2. केन उपनिषद:- इसके विषय ज्ञान और अज्ञान, आत्मा और ब्रह्म, इंद्रियों का विज्ञान, मन की प्रकृति, सत्य और अनुभूति, इन दो उपनिषदों के कारण सामवेद आध्यात्मिक रूप से अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।

6. सामवेद में मंत्रों के प्रकार:- सामवेद में मंत्रों के तीन मुख्य वर्ग हैं, साम (Sāma) मुख्य गानरत मंत्र, जो विशेष छंद और विशेष स्वर में गाए जाते हैं।, यह गायन-संरचना तीन भागों में बंटी होती है, स्तोभ : मंत्र के बीच जोड़े गए 

ध्वनियाँ (जैसे – हो, आ, इया)
प्रस्थान : गान की शुरुआत
उद्गीथ : उच्च स्वर का गान

ग्रंथ (Grantha):-  इनका संबंध नियम, प्रक्रिया और विधानों से है। जैसे यज्ञ करते समय किस मंत्र को कैसे गाना हैकिस देवता का आह्वान किस स्वर में होगा कौन-सा साम किस अवसर पर प्रयुक्त होगा

उपसाम (Upasāma):- ये शांत, धीमे, सूक्ष्म और ध्यानयोग्य मंत्र हैं। ये विशेष रूप से मानसिक शांति के लिए गाए जाते थे।

7. सामवेद में प्रयुक्त स्वरों का विज्ञान:- 

7.1 तीन मूल उच्चारण:- सामवेद में तीन मुखर उच्चारण वर्णित हैं:-

1. उदात्त (उँचा स्वर)
2. अनुदात्त (नीचा स्वर)
3. स्वरित (मध्यम, संयुक्त)

उदात्त = तार सप्तक
अनुदात्त = मंद्र सप्तक
स्वरित = मध्य सप्तक
आज के संगीत में: के रूप में समझा जा सकता है।

7.2 सात स्वर (सा-रे-ग-म...) का उद्भव

भारतीय संगीत के स्वर:-षड्ज (सा), ऋषभ (रे), गांधार (ग), मध्य (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नि) का पहला शास्त्रीय वर्णन सामवेद में पाया जाता है।

8. सामवेद – कौन-कौन से देवता:- सामवेद के मुख्य देवता, अग्नि, इंद्र, सोम, वायु, सूर्य, अश्विनीकुमार, मित्र, वरुण, मरुत, उषा, पृथ्वी, आकाश, रुद्र,
सामवेद में “सोम” पर विशेष जोर है, क्योंकि सोमयज्ञ सामवेद के गायन के बिना अपूर्ण होता था।

9. सामवेद – कौन गाता था:- यज्ञों में गायन के लिए एक विशेष पुरोहित वर्ग होता था,
उद्गाता (Udgātā) – मुख्य गायक
मंत्रों का गायन करता था।
प्रतिगाता (Pratigātā) – सहगायक
मुख्य गायक का साथ देता था।
प्रस्थाता (Prastotā)
गान की शुरुआत करता था।
उद्गीता (Udgītha)
ऊँचे स्वर वाला स्तोत्र गाता था।

10. सामवेद की प्रमुख शाखाएँ (Shakhas):- सामवेद की कुल शाखाएँ 1000 के आसपास कहलाती हैं, पर आज केवल दो मुख्य शाखाएँ जीवित हैं:
1. कौथुम (Kauthuma) – आधुनिक काल में सबसे अधिक प्रचलित
2. राणायणीय (Ranayaniya) – महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत
3. जैमिनीय (Jaiminiya) – तमिलनाडु/केरल की परंपरा में मिलती है

इन शाखाओं में मंत्रों और गायन की पद्धति में सूक्ष्म अंतर हैं।

11. सामवेद के राग और संगीत परंपरा:- भारतीय संगीत के "राग" का आधार सामवेद है। कई प्राचीन राग सामवेद पर आधारित हैं
राग भैरव
राग हिंदोल
राग मेघ
राग दीपा
राग नाद- ब्रह्म
सावरी
आरणी
ऋषभ
पंचमी
रति
वसंत

सामवेद के स्वरों को "स्वरसूत्र" कहा जाता है जिसमें जटिल लय पद्धति वर्णित है।

12. सामवेद:-  मुख्य मंत्र उदाहरण (कुछ चुनिंदा)

(नोटसामवेद बहुत विशाल है, इसलिए यहाँ प्रतीक रूप में कुछ प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं।)

1. उद्गीथ मंत्र: ओम् उद्गीथं उपासीत  

2. सामगान मंत्र: अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्

3. सोम स्तुति:- सोमं राजा पवमानं सुता इन्द्राय मत्सरः ये मंत्र यज्ञों में विशेष राग-गान अनुपात में गाए जाते थे।

13. सामवेद और योग:- सामवेद का संगीत मन पर गहरा प्रभाव डालता है। योगशास्त्र में कहा गया है,
✔ सामगान = चित्तशुद्धि
✔ सामवेद मंत्र = नाड़ी-शुद्धि
✔ सामवेद ध्वनि = चक्र-संतुलन
✔ उद्गीथ (ओम-गान) = ध्यान की सर्वोच्च अवस्था
सामवेद का मुख्य उपदेश “स्वर ही ब्रह्म है” इस प्रकार प्रणव के विज्ञान तक ले जाता है।

14. आधुनिक समाज में सामवेद:- आज भी सामवेद मंदिरों के अनुष्ठानों में, शास्त्रीय संगीत के आधार में, ध्रुपद-गान, वेदपाठ, योग संगीत, ध्यान, शोध-अध्ययन, सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी में जीवित है।
ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, हार्वर्ड जैसी विश्वविद्यालयों में भी सामवेद का अध्ययन संगीत विज्ञान के साथ किया जाता है।

15. सामवेद में वर्णित जीवन-दर्शन:- 

1. ध्वनि में सृष्टि की उत्पत्ति:- सामवेद के अनुसार ब्रह्मांड ध्वनि से बना है और उसकी मूल ध्वनि है "ओम्"।

2. संगीत = ध्यान:- संगीत का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं बल्कि ध्यान, एकाग्रता और अनुभूति है।

3. मन पर नियंत्रण:- स्वर के क्रम से मन की गति नियंत्रित होती है।

4. सकारात्मक ऊर्जा:- सामगान से वातावरण शुद्ध होता है।

5. आध्यात्मिक उत्थान:- सामवेद अध्यात्म और संगीत को एक रूप में देखता है।

16. सामवेद पर आधारित प्रसिद्ध शास्त्र
1. नाद-ब्रह्म सिद्धांत
2. संगीत-शास्त्र
3. ऋषि-परंपरा की ध्रुपद शैली
4. यजुर्वेद और अथर्ववेद में कई संगीत-सूत्र
5. भरतमुनि का नाट्यशास्त्र
6. संगीत-रत्नाकर
7. सरंगदेव का ग्रंथ
इन सभी की जड़ें सामवेद पर आधारित हैं।
17. सामवेद का दार्शनिक संदेश:- 

सामवेद कहता है स्वर ही आत्मा की अभिव्यक्ति है।, मन का शुद्ध होना ही असली उपासना है।, ब्रह्म की अनुभूति ध्यान (ओम-गान) से होती है।, संगीत आत्मा का मार्ग है। ध्वनि ही मूल सृष्टि है।

18. निष्कर्ष:– सामवेद क्यों विशेष है:- सामवेद वेदों में सबसे मधुर, सबसे आध्यात्मिक और सबसे कलात्मक वेद है।
इसकी विशेषताएँ
✔ भारतीय संगीत का जन्मदाता
✔ ध्यान और योग का मूल आधार
✔ मंत्रों की लय और शक्ति का विज्ञान
✔ देवताओं का गान-रूप आह्वान
✔ यज्ञों की ऊर्जा का स्रोत
✔ ब्रह्मविद्या की ध्वनि-अनुभूति
सामवेद मानव जीवन को संगीत में, उपासना में, आध्यात्मिकता में, विज्ञान में, मनोविज्ञान में Know more

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