संहिता क्या होती है, इसमें क्या लिखा होता है sanhita
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संहिता = सं + हित (अर्थात् एकत्र + संकलित) मतलब: एकत्र किए गए मन्त्रों का व्यवस्थित संग्रह। वेदों का पहला और सबसे प्राचीन भाग संहिता कहलाता है।
चारों वेदों की अलग-अलग संहिताएँ होती हैं-
2.यजुर्वेद संहिता (शुक्ल व कृष्ण दो रूप)
3.सामवेद संहिता
4.अथर्ववेद संहिता
मन्त्र (हजारों की संख्या में), सूक्त (मन्त्र-संग्रह), देवताओं की स्तुतियाँ, ऋषियों के अनुभव/दृष्टियाँ, प्रकृति, अग्नि, जल, वायु, सूर्य आदि के स्तोत्र, मानव जीवन के सिद्धान्त, ध्यान, ज्ञान, ईश्वर का स्वरूप
यज्ञ में बोले जाने वाले मन्त्र
ये सबसे पुराना वैदिक साहित्य है। इसमें काव्य + आध्यात्मिक ज्ञान का मिश्रण है। सभी मन्त्र छन्दों में लिखे होते हैं (गायत्री, त्रिष्टुप, जगती आदि)।ये श्रुति हैं—यानी सुने गए दिव्य ज्ञान, लिखे नहीं गए।
संहिता वह ग्रन्थ है जिसमें ऋषियों द्वारा सुने/अनुभव किए गए मन्त्र एक अनुशासित क्रम में रखे गए हों। वेद का “मुख्य शरीर” संहिता ही है।
‘मन्’ = मन
मन्त्र = मन को उद्धार/शुद्ध करने वाली शक्ति, मन्त्र ध्वनि, स्पन्दन और अर्थ—तीनों स्तरों पर कार्य करता है।
(5) संहिता का उपयोग कहाँ होता था?
उपासनाएँ
ध्यान
राजकीय/सामाजिक
आयोजन
वेदाध्ययन
भाग-3 : अब आपकी माँग के अनुसार—एक संहिता का अत्यन्त विस्तृत वर्णन, मैं यहाँ 'ऋग्वेद संहिता' को ले रहा हूँ, क्योंकि यह सबसे प्राचीन, सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण वेद है।
ऋग्वेद संहिता (गहन विवरण + इतिहास + संरचना + मन्त्र + अर्थ)
संहिता क्या होती है, इसमें क्या लिखा होता है sanhita
ऋग्वेद संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ माना जाता है। विद्वान इसकी प्राचीनता लगभग 3500–5000 वर्ष या उससे भी अधिक बताते हैं। इसका नाम “ऋक्” + “वेद” से बना है—
ऋक् = मन्त्र, स्तुति, छन्द
वेद = ज्ञान
इस प्रकार ऋग्वेद = छन्दों में व्यवस्थित पावन मन्त्रों का ज्ञान-भण्डार। ऋग्वेद में कुल 10 मंडल, 1028 सूक्त, और लगभग 10,600 मन्त्र हैं।
यह संहिता न केवल धार्मिक ग्रन्थ है, बल्कि भाषा-विज्ञान, खगोल, समाज-व्यवस्था, पर्यावरण, आध्यात्मिकता, मनोविज्ञान—सभी का प्राचीन आधार है।
2.1 ऋषि परम्परा
प्रत्येक सूक्त के पीछे एक ऋषि होता है जिन्हें ‘मन्त्रदृष्टा’ कहा जाता है। कुछ प्रमुख ऋषि-
वसिष्ठ
अत्रि
भारद्वाज
गौतम
कण्व
अंगिरा
ये ऋषि मन्त्र “रचते” नहीं, बल्कि दृष्टि द्वारा अनुभव करते थे।, इसलिए ऋग्वेद को अपौरुषेय (मनुष्यकृत नहीं) कहा गया।
2.2 देवता-प्रणाली:- ऋग्वेद में मुख्य रूप से प्रकृति के विभिन्न रूपों को देवता माना गया है-
इन्द्र (शक्ति, वीरता, विजय)
वायु (प्राण)
सूर्य, मित्र, वरुण
उषा (भोर)
सरस्वती (ज्ञान)
रुद्र, सोम , ये देवता प्रकृति शक्तियों, मनोवैज्ञानिक शक्तियों तथा ब्रह्माण्डीय सिद्धान्तों के प्रतीक हैं।
2. मण्डल 2 – गृत्समद ऋषि
3. मण्डल 3 – विश्वामित्र ऋषि
4. मण्डल 4 – वामदेव ऋषि
5. मण्डल 5 – अत्रि ऋषि
6. मण्डल 6 – भारद्वाज ऋषि
7. मण्डल 7 – वसिष्ठ ऋषि
8. मण्डल 8 – कन्व ऋषि
9. मण्डल 9 – सोम स्तुति
10. मण्डल 10 – दार्शनिक सूक्त (नासदीय, पुरुष सूक्त)
इन्द्र सूक्त
उषा सूक्त
सोम सूक्त
पृथ्वी सूक्त
पुरुष सूक्त
नासदीय सूक्त
ऋग्वेद बताता है:- अग्नि, सूर्य, वायु, जल—सब जीवन-प्रदाता हैं।, पर्यावरण की रक्षा सर्वोच्च धर्म है। जल = अमृत; पृथ्वी = माता।
चन्द्रमा के कलाएँ
वायु के प्रकार
वर्षा-तंत्र
खगोल संबंधी अवलोकन
जड़ी-बूटियों का ज्ञान
सभी ऋग्वेद में पाया जाता है।
👉5. अब मन्त्रों के साथ गहराई में समझना:- नीचे कुछ प्रमुख मन्त्र, उनका अर्थ और विस्तृत व्याख्या दी जा रही है, ताकि आप सही रूप से समझ सकें कि “संहिता में वास्तव में क्या होता है”।
होतारं रत्नधातमम् ॥”
शब्दार्थ:
ईळे = स्तुति करता हूँ
पुरोहितम् = आगे रहने वाला, मार्गदर्शक
यज्ञस्य = यज्ञ का
देवम् = देवता
ऋत्वीजम् = नियमों से यज्ञ कराने वाला
होतारम् = आहुति पहुँचाने वाला
रत्नधातमम् = श्रेष्ठ धन देने वाला
अग्नि = ज्ञान और ऊर्जा दोनों के प्रतीक।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद्दशाङुलम् ॥”
“नासदासीन्नो सदासीत्तदानीं…”
6.1 शिक्षा:- महिलाएँ भी ऋषि-पद प्राप्त करती थीं:- लोपामुद्रा, घोषा, आपाला
अर्थ: सत्य एक है, लोग उसे अनेक नामों से पुकारते हैं।
शरीर नश्वर, चेतना अमर।
यज्ञ = शुभ कर्म
सेवा = श्रेष्ठ कर्म
सत्य = सर्वोच्च धर्म
2. यह शुद्धतम काव्य है।, - छन्द, लय, संगीत, ध्वनि—सब अत्यंत उच्च स्तर के हैं।
3. यह आध्यात्मिक विज्ञान का स्रोत है।, - ध्यान, योग, आत्मा, ब्रह्म—सबका पहला विवरण यहीं है।
4. यह सार्वभौमिक है। - कोई जाति, संप्रदाय, मूर्ति कुछ नहीं। केवल शुद्ध चेतना का सिद्धान्त।
9. निष्कर्ष
संहिता वह स्थान है जहा प्राचीनतम मन्त्र, ऋषियों का अनुभव, ब्रह्माण्ड का विज्ञान, प्रकृति की आराधना, जीवन का ज्ञान, एकत्र होते हैं।
ऋग्वेद संहिता इस सम्पूर्ण परम्परा का स्तम्भ है। for veda in one..click here
इसमें लिखा प्रत्येक मन्त्र केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को ऊँचाई देने वाला ज्ञान है।

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