पूजा करते समय होने वाली 10 गलतियाँ और समाधान mistakes

Sanatan Diary
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पूजा करते समय होने वाली 10 गलतियाँ और समाधान mistakes

सनातन धर्म में पूजा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म की शुद्धि की प्रक्रिया है। शास्त्रों के अनुसार यदि पूजा विधि सही हो, भावना शुद्ध हो और नियमों का पालन किया जाए, तो साधारण सी पूजा भी अत्यंत फलदायी बन जाती है।
लेकिन आज के समय में अधिकतर लोग पूजा तो करते हैं, परंतु अनजाने में कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं, जिनसे पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे: पूजा करते समय होने वाली 10 आम गलतियाँ, उनके शास्त्रीय समाधान
तथा पूजा से पहले और दौरान बोले जाने वाले महत्वपूर्ण मंत्र, यह लेख विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो घर पर सही विधि से पूजा करना चाहते हैं। 
पूजा का वास्तविक अर्थ (शास्त्रों के अनुसार), पूजा का अर्थ केवल फूल, दीपक और अगरबत्ती अर्पित करना नहीं है। शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा तीन स्तरों पर होती है:
1. शारीरिक शुद्धि
2. मानसिक शुद्धि
3. भावनात्मक समर्पण
यदि इन तीनों में संतुलन न हो, तो पूजा केवल एक औपचारिक कर्म बनकर रह जाती है।

पूजा करते समय होने वाली 10 आम गलतियाँ और उनके समाधान

✔ 1: बिना शुद्ध हुए पूजा करना
कई लोग नींद से उठते ही या बिना स्नान किए पूजा में बैठ जाते हैं।
शास्त्रीय कारण: शास्त्रों में शरीर की शुद्धि को पूजा का प्रथम चरण माना गया है।
समाधान: स्नान करना सर्वोत्तम है, यदि संभव न हो, तो हाथ-पैर-मुख धोकर पूजा करें।
शुद्धि मंत्र (पूजा से पहले)
घर के मंदिर में आसन पर बैठकर ध्यान और प्रार्थना करते हुए भक्त, सामने दीपक और कलश
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा
सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं
स बाह्याभ्यंतरः शुचिः॥
यह मंत्र शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है।
2: पूजा से पहले आसन न लगाना: कई लोग खड़े होकर या बिस्तर पर बैठकर पूजा कर लेते हैं।
शास्त्रीय कारण: आसन स्थिरता और एकाग्रता का प्रतीक है।
समाधान: कुश, ऊन या सूती आसन का प्रयोग करें, रोज एक ही आसन रखें, आसन ग्रहण मंत्र।
Devotee seated cross-legged before a home temple in morning light, with diya and deity idol creating a calm spiritual atmosphere.`
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका
  देवि त्वं विष्णुना 
धृतत्वं च धारय मां देवि
पवित्रं कुरु चासनम्॥
✔3: पूजा में मन का भटकना
शरीर पूजा में बैठा होता है, लेकिन मन इधर-उधर भटकता रहता है। शास्त्रीय कारण: भगवान भावना से प्रसन्न होते हैं, दिखावे से नहीं।
समाधान: पूजा से पहले 1 मिनट आंख बंद कर मन को शांत करें, अनावश्यक विचारों को रोकें।
4: दीपक जलाने की सही विधि न जानना: अक्सर दीपक बिना मंत्र या गलत दिशा में जला दिया जाता है।
शास्त्रीय महत्व, दीपक अज्ञान के अंधकार को दूर करने का प्रतीक है।
समाधान: दीपक पूजा के आरंभ में जलाएं, घी या तिल के तेल का प्रयोग करें।
दीपक जलाने का मंत्र
हिंदू पूजा में पीतल का दीपक जलाते हुए भक्त, दीया की सुनहरी लौ, अगरबत्ती का धुआं, देवी मूर्ति, फूल और कलश के साथ शांत आध्यात्मिक वातावरण।ॐ दीपज्योति परं ब्रह्म
                                                                   दीपज्योतिर्जनार्दनः।
                                                                   दीपो हरतु मे पापं
                                                                   दीपज्योति नमोऽस्तुते॥
5: धूप-अगरबत्ती बिना मंत्र जलाना: धूप केवल सुगंध के लिए नहीं, वातावरण शुद्ध करने के लिए होती है।
समाधान: धूप जलाते समय मंत्र अवश्य बोलें।
धूप अर्पण मंत्र
धूप अर्पण करते हुए भक्त, अगरबत्ती की सुगंधित धुआँ, गणेश प्रतिमा, दीया और शांत पूजा वातावरण।
                                             वनस्पतिरसो दिव्यो
                                             गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
                                             आघ्रेयः सर्वदेवानां
                                            धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
6: पूजा के समय मोबाइल का प्रयोग
यह आज की सबसे बड़ी और सामान्य गलती है। शास्त्रीय दृष्टि, पूजा के समय मन और इंद्रियों का संयम आवश्यक है।
समाधान: पूजा से पहले मोबाइल दूर रखें, घंटी, अलार्म सब बंद रखें।
7: गलत उच्चारण से मंत्र जाप: गलत उच्चारण से मंत्र का प्रभाव कम हो जाता है।
समाधान: मंत्र धीरे और स्पष्ट बोलें, संख्या कम रखें, शुद्ध रखें।
गलती 8: जल्दबाजी में पूजा समाप्त करना: कई लोग केवल औपचारिकता निभाने के लिए पूजा करते हैं।
समाधान: कम मंत्र पढ़ें, लेकिन मन लगाकर पढ़ें, समय से पूजा करें
 9: पूजा के बाद प्रार्थना न करना: पूजा बिना प्रार्थना के अधूरी मानी जाती है।
प्रार्थना मंत्र
सुबह की रोशनी में गृह मंदिर में प्रार्थना करते भक्त, अंजलि मुद्रा, फूलों से सजा चौकी, गणेश प्रतिमा, दीया, कलश और उठता धूप धुआँ।
                                            करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
                                            श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
                                            विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व
                                             जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
यह मंत्र पूजा की पूर्णता करता है।
✔10: पूजा के बाद नकारात्मक व्यवहार: पूजा के बाद भी यदि व्यवहार शुद्ध न हो, तो पूजा का प्रभाव कम हो जाता है।
समाधान: पूजा के बाद शांत रहें, कटु वचन से बचें, सात्विक आहार लें।
पूजा करने का सही क्रम (संक्षेप में)
1. शुद्धि मंत्र
2. आसन ग्रहण
3. दीपक प्रज्वलन
4. धूप अर्पण
5. देवता का ध्यान
6. मंत्र जाप
7. प्रार्थना

पूजा के लाभ (शास्त्रों के अनुसार)

मन की शांति
सकारात्मक ऊर्जा                                                        (पूजा करते समय होने वाली 10 गलतियाँ और समाधान) mistakes
आत्मविश्वास में वृद्धि
घर में सुख-शांति
संस्कारों का विकास
निष्कर्ष
पूजा तभी फलदायी होती है जब वह शुद्ध विधि, सही मंत्र और सच्ची भावना के साथ की जाए। यदि हम पूजा करते समय होने वाली इन आम गलतियों से बचें और शास्त्रों के बताए गए उपाय अपनाएं, तो हमारी साधारण पूजा भी 'असाधारण परिणाम' देने लगती है।
सनातन धर्म हमें यही सिखाता है कि भक्ति केवल कर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।
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