माँ दुर्गा के 108 नाम (अष्टोत्तर शतनामावली) maa durga
साथ में माँ दुर्गा की उत्पत्ति की संक्षिप्त कथामाँ दुर्गा शक्ति, साहस और धर्म की प्रतीक हैं। वे आदिशक्ति हैं, जिनसे समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा उत्पन्न होती है। जब भी अधर्म बढ़ता है और देवता असहाय होते हैं, तब माँ दुर्गा किसी न किसी रूप में अवतरित होकर अधर्म का नाश करती हैं।
माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कथा
पुराणों के अनुसार, जब "महिषासुर" नामक असुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसकी मृत्यु किसी पुरुष के हाथों न हो, तब वह स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में अत्याचार करने लगा। देवता उसके अत्याचारों से अत्यंत पीड़ित हो गए।
तब सभी देवताओं ने अपने-अपने तेज और शक्ति को एकत्र किया। उस दिव्य ऊर्जा से 'एक दिव्य स्त्री रूप' प्रकट हुआ वही थीं "माँ दुर्गा"।
शिव ने उन्हें त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, इंद्र ने वज्र और अन्य देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र प्रदान किए।
माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध कर दसवें दिन महिषासुर का वध किया। तभी से वे "महिषासुरमर्दिनी" कहलाईं और नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।
माँ दुर्गा की उत्पत्ति की कथा
पुराणों के अनुसार, जब "महिषासुर" नामक असुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसकी मृत्यु किसी पुरुष के हाथों न हो, तब वह स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में अत्याचार करने लगा। देवता उसके अत्याचारों से अत्यंत पीड़ित हो गए।
तब सभी देवताओं ने अपने-अपने तेज और शक्ति को एकत्र किया। उस दिव्य ऊर्जा से 'एक दिव्य स्त्री रूप' प्रकट हुआ वही थीं "माँ दुर्गा"।
शिव ने उन्हें त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, इंद्र ने वज्र और अन्य देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र प्रदान किए।
माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध कर दसवें दिन महिषासुर का वध किया। तभी से वे "महिषासुरमर्दिनी" कहलाईं और नवरात्रि का पर्व मनाया जाने लगा।
माँ दुर्गा के 108 पवित्र नाम
"दुर्गा","शिवा","महालक्ष्मी","महागौरी","चंडी","भद्रकाली","कात्यायनी","पार्वती","अम्बिका","जगदम्बा", "भवानी","महेश्वरी","गौरी","नारायणी","ईश्वरी","सर्वमंगला","सर्वानी","सर्वेश्वरी","शिवप्रिया","शिवदूती", "ब्रह्माणी","वैष्णवी","इंद्राणी","कौमारी","वाराही","चामुण्डा","नारसिंही","कालरात्रि","सिद्धिदात्री","स्कंदमाता", "कूष्मांडा","शैलपुत्री","महिषासुरमर्दिनी","रुद्राणी","चंद्रघंटा","महाकाली","त्रिपुरा","त्रिनेत्री","दुर्गातिनाशिनी","भैरवी", "त्रिपुरसुंदरी","कामाख्या","भवभयहारिणी","जगत्पालिनी","जगत्कर्त्री","जगद्धात्री","जगद्धारिणी","करुणामयी","दयामयी","भक्तवत्सला", "शरणागतरक्षा","सौम्या","परमेश्वरी","योगमाया","महामाया","महादेवी","महाशक्ति","अन्नपूर्णा","सर्वसिद्धिप्रदा","सर्वकामदा", "सर्वदुःखनाशिनी","शुद्धा","नित्या","निराकारा","निराधारा","निरुपमा","निरंजना","निर्विकारा","निर्विघ्ना","नीलकंठप्रिया", "सौभाग्यदायिनी","शांभवी","शांता","सिद्धा","सिद्धिदा","महाकामेश्वरी","ब्रह्मस्वरूपिणी","विश्वरूपा","विश्वमाता","विश्वधारिणी", "कालसंहारिणी","महाविद्या","वेदगर्भा","वेदस्वरूपिणी","तपस्विनी","तपोनिष्ठा","भक्तसुलभा","भक्तिप्रिया","सर्वलोकपूजिता","धर्मसंस्थापिका", "अधर्मनाशिनी","सर्वपापहरिणी","सर्वरोगनाशिनी","सर्वसंकटनाशिनी","सर्वमंगलमयी","सर्वशक्तिमयी", "सर्वकल्याणकारिणी","सर्वविघ्नविनाशिनी","सर्वकामफलप्रदा","महापुण्यप्रदा","परमपावनी","जयदुर्गा"
जयदुर्गा 108 नाम जप का महत्व
माँ दुर्गा के 108 नामों का श्रद्धा से जप करने से: भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है, घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है,भक्त को माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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