वेद – सनातन धर्म का मूल आधार

Sanatan Diary
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                                          वेद – सनातन धर्म का मूल आधार

वेद सनातन धर्म का मूल आधार
सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह शाश्वत है—न इसका कोई आरंभ है और न कोई अंत। इसमें वेद, उपनिषद, पुराण, गीता, स्मृति, आचारशास्त्र, योगशास्त्र और दर्शनशास्त्र सम्मिलित हैं। इसलिए इसे किसी निश्चित संख्या में बाँधना कठिन है। फिर भी, हम इसके प्रमुख भागों और अध्यात्मिक अध्यायों का विवेचन कर सकते हैं।

👉 सनातन धर्म का मूल आधार

सनातन धर्म का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण अंग वेद हैं। वेद चार हैं:

ऋग्वेद – इसमें देवताओं की स्तुति और मंत्र हैं।

यजुर्वेद – इसमें यज्ञ की विधियाँ और अनुष्ठान बताए गए हैं।

सामवेद – इसमें संगीत और स्वर आधारित मंत्र हैं।

अथर्ववेद – इसमें चिकित्सा, गृहस्थ जीवन और लोककल्याण से जुड़े मंत्र हैं।

प्रत्येक वेद के भीतर तीन प्रमुख भाग होते हैं:

संहिता – मंत्रों का संग्रह।
ब्राह्मण – यज्ञ-विधि और कर्मकांड।
आरण्यक – वनवासी ऋषियों के लिए ध्यान और साधना।
उपनिषद - आत्मा और ब्रह्म का रहस्य।

👉 इस प्रकार वेदों में ही हजारों अध्याय और भाग निहित हैं।

                                       वेद – सनातन धर्म का मूल आधार  

उपनिषद – अध्यात्म का सार

उपनिषदों को वेदांत कहा जाता है। इनकी संख्या 108 मानी जाती है। प्रमुख उपनिषद हैं: ईश, केन, कठ, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक आदि।

उपनिषद आत्मा और ब्रह्म के संबंध को स्पष्ट करते हैं।
इनमें अद्वैत, मोक्ष, ध्यान और आत्मज्ञान का विवेचन है।
उपनिषदों को ही अध्यात्म का सर्वोच्च स्रोत माना गया है।
👉 भगवद्गीता – जीवन का मार्गदर्शन

गीता को उपनिषदों का सार कहा जाता है। इसमें 18 अध्याय हैं:

1. अर्जुन विषाद योग

2. सांख्य योग

3. कर्म योग

4. ज्ञान योग

5. संन्यास योग

6. ध्यान योग

7. भक्ति योग

8. अक्षर ब्रह्म योग

9. राजविद्या राजगुह्य योग

10. विभूति योग

11. विश्वरूप दर्शन योग

12. भक्ति योग

13. क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग

14. गुणत्रय विभाग योग

15. पुरुषोत्तम योग

16. दैवासुर सम्पद विभाग योग

17. श्रद्धात्रय विभाग योग

18. मोक्ष संन्यास योग

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👉 गीता के ये अध्याय जीवन के हर पहलू को छूते हैं—कर्म, ज्ञान, भक्ति और मोक्ष।
पुराण – लोकजीवन और कथाएँ

सनातन धर्म में 18 महापुराण हैं, जैसे विष्णु पुराण, शिव पुराण, भागवत पुराण, मार्कण्डेय पुराण आदि। इनके अतिरिक्त उपपुराण भी हैं।

पुराणों में सृष्टि की उत्पत्ति, देवताओं की कथाएँ, धर्मशास्त्र और लोकजीवन का वर्णन है।

भागवत पुराण में भक्ति का अद्भुत विवेचन है।

शिव पुराण में शिवतत्व और योग का रहस्य है।

👉 स्मृति और धर्मशास्त्र

मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, नारद स्मृति आदि ग्रंथ समाज के आचार-विचार और नियम बताते हैं।

ये धर्मशास्त्र समाज की व्यवस्था को स्पष्ट करते हैं।

विवाह, शिक्षा, न्याय, दंड और आचार से जुड़े नियम इनमें वर्णित हैं।

👉 योग और अध्यात्म

पतंजलि योगसूत्र, हठयोग, भक्ति योग, राजयोग आदि सनातन धर्म के अध्यात्मिक अंग हैं।
योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की साधना है।
ध्यान, प्राणायाम, आसन और समाधि योग के अंग हैं।
दर्शनशास्त्र
सनातन धर्म में छह प्रमुख दर्शन हैं:
सांख्य
योग
न्याय
वैशेषिक
मीमांसा
वेदांत

ये दर्शन जीवन, ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्यों को समझाते हैं।

👉 सनातन धर्म के "भाग" और "अध्याय"

भाग: वेद, उपनिषद, गीता, पुराण, स्मृति, आचारशास्त्र, योगशास्त्र, दर्शनशास्त्र।

अध्याय: प्रत्येक ग्रंथ में अलग-अलग अध्याय हैं। जैसे गीता में 18 अध्याय, उपनिषदों में अनेक अध्याय, पुराणों में हजारों अध्याय।

👉 इस प्रकार सनातन धर्म को किसी निश्चित संख्या में बाँधना असंभव है। यह एक जीवंत परंपरा है, जिसमें असंख्य ग्रंथ और अध्याय हैं।

निष्कर्ष

सनातन धर्म में चार वेद, 108 उपनिषद, 18 पुराण, 18 अध्याय वाली गीता, अनेक स्मृति और आचारशास्त्र सम्मिलित हैं। इसलिए यह कहना कि इसमें कितने "भाग" और "अध्याय" हैं, संभव नहीं है। यह धर्म अनंत है और इसके ग्रंथ भी अनंत हैं।

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