ब्रह्माण्ड पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, brahmand puran

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 ब्रह्माण्ड पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, brahmand puran

ब्रह्माण्ड पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, brahmand puran
ब्रह्माण्ड पुराण सनातन धर्म के अठारह महापुराणों में एक अत्यंत प्राचीन, दार्शनिक और रहस्यमय ग्रंथ है। यह पुराण सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्माण्ड की रचना, कालचक्र, धर्म, भक्ति और मोक्ष के सिद्धांतों को गहराई से प्रस्तुत करता है। 
इसका नाम ही संकेत करता है कि यह "पूर्ण ब्रह्माण्ड के रहस्य" को समझाने वाला ग्रंथ है।
यह पुराण केवल धार्मिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कॉस्मोलॉजी (Cosmology), समय, युग, मानव कर्तव्य और ईश्वर-भक्ति का समन्वय देखने को मिलता है।

ब्रह्माण्ड पुराण क्या है?
ब्रह्माण्ड पुराण एक संस्कृत महापुराण है, जिसमें सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर उसके विस्तार और विनाश तक की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ, कैसे युगों का प्रवाह चलता है और कैसे मनुष्य अपने कर्मों द्वारा मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।
इस पुराण में सृष्टि को केवल भौतिक संरचना नहीं, बल्कि चेतन शक्ति से उत्पन्न दिव्य व्यवस्था के रूप में देखा गया है।

ब्रह्माण्ड पुराण की रचना किसने की?

पारंपरिक मान्यता
सनातन परंपरा के अनुसार, ब्रह्माण्ड पुराण की रचना "महर्षि वेदव्यास" द्वारा की गई मानी जाती है। वेदव्यास को सभी महापुराणों का संकलक माना जाता है। उन्होंने वेदों के ज्ञान को सामान्य जन तक पहुँचाने के लिए पुराणों की रचना की।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण
विद्वानों के अनुसार ब्रह्माण्ड पुराण का संकलन लगभग ईसा की 4वीं से 7वीं शताब्दी के बीच हुआ। हालांकि इसके कई अंश इससे भी अधिक प्राचीन माने जाते हैं।
ब्रह्माण्ड पुराण में क्या लिखा है?
1. सृष्टि की उत्पत्ति
ब्रह्माण्ड पुराण का प्रमुख विषय सृष्टि की उत्पत्ति है। इसमें बताया गया है कि प्रारंभ में केवल परब्रह्म था। उसी से महत्, अहंकार, पंचतत्त्व और अंततः सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना हुई।
यह प्रक्रिया यह दर्शाती है कि सृष्टि कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि नियमबद्ध और चेतन योजना है।
2. ब्रह्माण्ड की संरचना
इस पुराण में लोकों का विस्तृत वर्णन मिलता है:-
भूर्लोक
भुवर्लोक
स्वर्लोक
महर्लोक
जनलोक
तपोलोक
सत्यलोक
इन लोकों का वर्णन आध्यात्मिक स्तरों के रूप में किया गया है।
3. काल, युग और प्रलय
ब्रह्माण्ड पुराण में समय को चक्रीय बताया गया है। इसमें चार युगों सत्य, त्रेता, द्वापर और कलियुग का वर्णन है। साथ ही महाप्रलय और आंशिक प्रलय की अवधारणा समझाई गई है।
यह बताता है कि सृष्टि नष्ट नहीं होती, बल्कि रूप बदलती है।
4. धर्म और मानव कर्तव्य
इस पुराण में धर्म को जीवन का आधार बताया गया है। इसमें कहा गया है कि राजा, गृहस्थ, ब्राह्मण, तपस्वी सभी के लिए अलग-अलग कर्तव्य हैं।
धर्म को केवल पूजा नहीं, बल्कि कर्तव्य और नैतिक आचरण के रूप में परिभाषित किया गया है।
5. आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व
ब्रह्माण्ड पुराण का सबसे प्रसिद्ध भाग आदित्य हृदय स्तोत्र है। यह सूर्य उपासना का अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है।
इसी पुराण में इस स्तोत्र का विस्तृत महात्म्य बताया गया है। ब्रह्माण्ड पुराण में किसकी पूजा का वर्णन है?
1. भगवान विष्णु
ब्रह्माण्ड पुराण में भगवान विष्णु को ब्रह्माण्ड का पालनकर्ता और धर्म का आधार बताया गया है।
2. सूर्य देव (आदित्य)
सूर्य को साक्षात् ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। आदित्य हृदय स्तोत्र के माध्यम से सूर्य पूजा का महत्व बताया गया है।
3. ब्रह्मा और शिव
ब्रह्मा को सृष्टिकर्ता और शिव को संहारक के रूप में वर्णित किया गया है, किंतु ये दोनों विष्णु तत्व से ही प्रकट माने गए हैं
ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित प्रमुख मंत्र:
1. विष्णु उपासना मंत्र
ॐ नमो नारायणाय
2. सूर्य मंत्र (आदित्य हृदय भाव)
ॐ आदित्याय नमः
3. ब्रह्म मंत्र
ॐ तत्सत्
इन मंत्रों का उद्देश्य आत्मशुद्धि, तेजवृद्धि और धर्मबोध है।
Brahmanda Purana Hindu scripture artwork showing creation of Brahmand, loks, time cycle and divine energies

ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार किसकी पूजा करनी चाहिए?

ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार: विष्णु की पूजा जीवन में स्थिरता और मोक्ष के लिए सूर्य की उपासना स्वास्थ्य, तेज और आत्मबल के लिए, धर्म और कर्तव्य की साधना सबसे बड़ी पूजा मानी गई है, पूजा क्यों करनी चाहिए? 
(दार्शनिक कारण)
ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार पूजा का उद्देश्य ईश्वर को प्रसन्न करना नहीं, बल्कि स्वयं को शुद्ध और जागरूक बनाना है। पूजा से:
अहंकार कम होता है, कर्म शुद्ध होते हैं, चेतना उच्च स्तर पर पहुँचती है
ब्रह्माण्ड पुराण का दार्शनिक महत्व
यह पुराण सिखाता है कि मनुष्य ब्रह्माण्ड से अलग नहीं, बल्कि उसी का अंश है। जब मनुष्य धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलता है, तब वह स्वयं ब्रह्माण्डीय चेतना से जुड़ जाता है।

आधुनिक युग में ब्रह्माण्ड पुराण की प्रासंगिकताआज के वैज्ञानिक युग में भी ब्रह्माण्ड पुराण का महत्व कम नहीं हुआ है। इसकी सृष्टि और समय संबंधी अवधारणाएँ आधुनिक ब्रह्माण्ड विज्ञान से साम्य रखती हैं।
निष्कर्ष
ब्रह्माण्ड पुराण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सृष्टि, समय और चेतना का दार्शनिक दस्तावेज़ है। यह मनुष्य को यह समझाता है कि जीवन का अंतिम लक्ष्य केवल भोग नहीं, बल्कि धर्म और मोक्ष है।
इस प्रकार ब्रह्माण्ड पुराण सनातन धर्म की एक अमूल्य धरोहर है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी प्राचीन काल में थी।                   (ब्रह्माण्ड पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, brahmand puran)

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