गरुड़ पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, रचना garuda puran

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 गरुड़ पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, रचना garuda puran

गरुड़ पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, रचना garuda puran
गरुड़ पुराण सनातन धर्म के अठारह महापुराणों में से एक अत्यंत चर्चित, गंभीर और गूढ़ ग्रंथ है। सामान्य जनमानस में इसे प्रायः मृत्यु, प्रेत और नरक से जोड़कर देखा जाता है, परंतु यह इसकी 'अधूरी समझ' है। वास्तव में गरुड़ पुराण जीवन, मृत्यु, कर्म, धर्म, भक्ति, ज्ञान और मोक्ष, इन सभी का समग्र दर्शन प्रस्तुत करता है। यह पुराण मनुष्य को यह सिखाता है कि जीवन कैसे जिया जाए और मृत्यु के बाद की यात्रा के लिए स्वयं को कैसे तैयार किया जाए।
यह ग्रंथ भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच संवाद के रूप में रचित है। इसी कारण इसका नाम गरुड़ पुराण पड़ा।
गरुड़ पुराण क्या है?
गरुड़ पुराण एक संस्कृत महापुराण है, जिसमें भगवान विष्णु अपने परम भक्त और वाहन गरुड़ को धर्म, कर्म, मृत्यु और आत्मा से जुड़े गहन रहस्यों का उपदेश देते हैं। इसमें बताया गया है कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक अवस्था से दूसरी अवस्था की यात्रा है।
यह पुराण स्पष्ट करता है कि मनुष्य का प्रत्येक कर्म चाहे वह छोटा हो या बड़ाnउसकी मृत्यु के बाद की स्थिति को निर्धारित करता है। इसलिए इसे (कर्म-सिद्धांत) का पुराण भी कहा जाता है।
गरुड़ पुराण की रचना किसने की?
पारंपरिक मान्यता
भारतीय पौराणिक परंपरा के अनुसार, गरुड़ पुराण की रचना 'महर्षि वेदव्यास' द्वारा की गई मानी जाती है। वेदव्यास को महाभारत, वेदों के संकलन और अठारह महापुराणों का कर्ता माना जाता है।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण
आधुनिक विद्वानों के अनुसार गरुड़ पुराण की वर्तमान संरचना लगभग ईसा की 4वीं से 6वीं शताब्दी के बीच व्यवस्थित हुई। हालांकि इसमें निहित अवधारणाएँ वैदिक काल से भी प्राचीन हैं।

गरुड़ पुराण की संरचना

Garuda Purana illustration showing Lord Vishnu explaining secrets of life and death to Garuda in Vaikuntha
गरुड़ पुराण में लगभग 19,000 श्लोक बताए जाते हैं। यह दो प्रमुख भागों में विभक्त है:
1. पूर्व खंड जिसमें ब्रह्मांड, विष्णु भक्ति, आयुर्वेद, नीति और धर्म का वर्णन है
2. उत्तर खंड (प्रेत खंड) जिसमें मृत्यु, प्रेत योनि, नरक, यमलोक और कर्मफल का विस्तृत वर्णन है।
गरुड़ पुराण में क्या लिखा है?
1. जीवन और धर्म का विवेचन
गरुड़ पुराण मनुष्य के लिए धर्मपूर्ण जीवन का मार्गदर्शन करता है। इसमें सत्य, अहिंसा, दया, संयम, सेवा और भक्ति को जीवन का आधार बताया गया है।
यह स्पष्ट करता है कि केवल पूजा-पाठ ही नहीं, बल्कि आचरण ही वास्तविक धर्म है।
2. मृत्यु और आत्मा की यात्रा
इस पुराण का सबसे प्रसिद्ध विषय मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा है। इसमें बताया गया है: मृत्यु के क्षण में आत्मा की स्थिति, प्राण त्याग के बाद सूक्ष्म शरीर की अवस्था, यमदूतों की भूमिका, कर्मों के अनुसार आत्मा का मार्ग
यह विवरण डराने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य को जागरूक करने के लिए है।
3. प्रेत योनि और नरक
गरुड़ पुराण में विभिन्न नरकों और प्रेत योनियों का वर्णन मिलता है। प्रत्येक नरक किसी विशेष पाप से जुड़ा है। इसका उद्देश्य भय उत्पन्न करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अधर्म का परिणाम निश्चित होता है।
4. पिंडदान और श्राद्ध का महत्व
गरुड़ पुराण पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध को अत्यंत महत्वपूर्ण बताता है। इसमें कहा गया है कि इन कर्मों से:
पितरों को शांति मिलती है, आत्मा की यात्रा सुगम होती है
5. आयुर्वेद और नीति शास्त्र
कम लोगों को ज्ञात है कि गरुड़ पुराण में आयुर्वेद, औषधि विज्ञान, रोगों के कारण और उपचार का भी वर्णन है। साथ ही इसमें राजधर्म और नीति के सिद्धांत भी बताए गए हैं।
गरुड़ पुराण में किसकी पूजा का वर्णन है?

 गरुड़ पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, 

Garuda Purana Preta Khanda scene describing post death rituals, preta yoni and karma phala
1. भगवान विष्णु
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु को परमेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। उन्हें सृष्टि का पालनकर्ता और मोक्षदाता कहा गया है।
2. गरुड़
गरुड़ को केवल वाहन नहीं, बल्कि धर्म और भक्ति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
3. यम और चित्रगुप्त
यम को न्यायाधीश के रूप में और चित्रगुप्त को कर्मों के लेखाकार के रूप में वर्णित किया गया है।
गरुड़ पुराण में वर्णित मंत्र
गरुड़ पुराण में मंत्रों का प्रयोग मुख्यतः शांति, मोक्ष और विष्णु भक्ति के लिए बताया गया है। प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
1. विष्णु मंत्र                                     
ॐ नमो नारायणाय                        (गरुड़ पुराण : अर्थ, विषयवस्तु, मंत्र, रचना garuda puran)
विष्णवे नमः
2. मृत्यु शांति मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
3.
पितृ शांति मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः
इन मंत्रों को श्रद्धा और नियम के साथ जपने की सलाह दी गई है। गरुड़ पुराण क्यों प्रसिद्ध है?
1. मृत्यु के बाद का यथार्थ चित्रण
यह एकमात्र पुराण है जो मृत्यु के बाद की अवस्था को इतने विस्तार से समझाता है।
2. कर्म सिद्धांत की स्पष्टता
गरुड़ पुराण कर्म और फल के सिद्धांत को अत्यंत सरल भाषा में स्पष्ट करता है।
3. श्राद्ध और पिंडदान की प्रमाणिकता
अंत्येष्टि कर्मों का सबसे व्यवस्थित वर्णन इसी पुराण में मिलता है। गरुड़ पुराण का दार्शनिक महत्व, गरुड़ पुराण भय नहीं, बल्कि विवेक जगाने वाला ग्रंथ है। यह बताता है कि मोक्ष केवल मृत्यु के बाद नहीं, बल्कि जीवन में ही धर्मपूर्ण आचरण से प्राप्त किया जा सकता है।, आधुनिक संदर्भ में गरुड़ पुराण, आज के युग में भी गरुड़ पुराण अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि यहनैतिकता सिखाता है, कर्म के प्रति उत्तरदायित्व जगाता है, मृत्यु भय को समझ में बदलता है
निष्कर्ष
गरुड़ पुराण जीवन और मृत्यु के बीच सेतु है। यह मनुष्य को यह समझाता है कि मृत्यु अंधकार नहीं, बल्कि आत्मा की अगली यात्रा है। 
जो व्यक्ति धर्म, सत्य और भक्ति के साथ जीवन जीता है, उसके लिए मृत्यु भय नहीं, बल्कि शांति का द्वार बन जाती है। इस प्रकार गरुड़ पुराण सनातन धर्म का एक अत्यंत मूल्यवान और शिक्षाप्रद ग्रंथ है।

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