18 पुराणों का विवरण रचना, काल, कथाएँ और विशेषताएँ puran
✔ किसने किस पुराण की रचना की
✔ कब रचे गये
✔ क्या विषय-वस्तु है
✔ कितने पुराण हैं
✔ प्रत्येक पुराण का पूरा वर्णन
✔ हिंदू धर्म में इनका महत्व
यह ऐसे ग्रंथ हैं जिनमें सृष्टि का निर्माण, देव, दैत्य, ऋषि और मानव कुलों का इतिहास, धर्म, कर्म, नीति, संस्कार, भूगोल, खगोल, ब्रह्मांड संरचना।
अवतार कथाएँ तीर्थ, व्रत और विभिन्न लोकों का वर्णन अध्यात्म, योग, भक्ति, तंत्र मानवीय जीवन के मूल्य सभी का विस्तृत और कथात्मक वर्णन मिलता है। पुराण वेदों के बाद हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक-ऐतिहासिक ग्रंथ माने जाते हैं।
सभी पुराणों को महर्षि वेदव्यास ने संकलित, व्यवस्थित और रचा बताया गया है। हालाँकि कई पुराण बाद के काल में सूत्रधारों, शिष्यों, कथावाचकों द्वारा भी विस्तार पाते रहे।
✔ मुख्य रचयिता: महर्षि वेदव्यास वेदों के संकलक महाभारत के रचयिता ब्रह्मसूत्र के कर्ता 18 प्रमुख पुराणों के संकलक।
3. पुराण कब लिखे गए? (काल निर्धारण)
विद्वानों के अनुसार पुराणों की रचना 1000 ईसा पूर्व से 1000 ईस्वी के बीच धीरे-धीरे पूर्ण हुई।
2. संहिताकाल – 300 ईसा पूर्व
3. गुप्तकाल में विस्तार – 300–700 ईस्वी
4. उत्तर मध्यकाल में अंतिम रूप – 700–1200 ईस्वी
4. पुराणों की संख्या
2. पद्म पुराण
3. विष्णु पुराण
4. शिव पुराण
5. भागवत पुराण
6. नारद पुराण
7. मार्कण्डेय पुराण
8. अग्नि पुराण
9. भविष्य पुराण
10. ब्रह्मवैवर्त पुराण
11. लिंग पुराण
12. वराह पुराण
13. स्कंद पुराण
14. वामन पुराण
15. कूर्म पुराण
16. मत्स्य पुराण
17. गरुड़ पुराण
18. ब्रह्माण्ड पुराण
(B) 18 उप-पुराण:- इनमें नरसिंह, कपाल, आदित्य, गणेश, शक्ति, व्यास, कालिका आदि पुराण शामिल हैं।
18 पुराणों का विवरण रचना, काल, कथाएँ और विशेषताएँ puran
हर पुराण में मूलतः पाँच प्रमुख विषय होते हैं:-
2. प्रतिसर्ग – प्रलय के बाद पुनः सृष्टि
3. वंश – देव, ऋषि, मनु, राजवंश
4. मन्वंतर – हर युग में मनुओं का विवरण
5. वंशानुचरित – राजाओं, देवों और ऋषियों के जीवन वृत्तांत
इन पाँच विषयों के आधार पर पुराणों को इतिहास + धर्म + दर्शन + संस्कृति का समग्र ग्रंथ माना जाता है।
विशेषता:- यह तीर्थ महात्म्य का विश्वकोश जैसा है विशेषकर जगन्नाथ पुरी का अत्यंत महिमामय वर्णन मिलता है।
विशेषता:- यह विष्णु भक्ति का प्रमुख ग्रंथ है और इसमें सबसे अधिक तीर्थ तथा धर्म-संस्कारों का वर्णन है।
रचना – वेदव्यास (काल 6th–11th century)
विषय:- शिव की उत्पत्ति, लिंग का महात्म्य, शिव–पार्वती विवाह, कार्तिकेय और गणेश कथाएँ, कैलाश पुराण, शिव तांडव, शिव भक्तों की कथाएँ।
विशेषता:- शैव परंपरा का मुख्य पुराण सबसे अधिक भक्ति, अध्यात्म और तांत्रिक तत्व।
सबसे प्रसिद्ध पुराण इस ग्रंथ में भक्ति और कृष्ण का अतुलनीय वर्णन मिलता है।
विशेषता:- भारत का सबसे लोकप्रिय पुराण भागवत सप्ताह इसी पर आधारित है।
विषय:- नारद के उपदेश, भक्ति, योग, ध्यान गृहस्थ, संन्यासी और भक्त का धर्म, तीर्थयात्रा का महत्व।
विशेषता:- यह सबसे अधिक विज्ञान, शास्त्र, आयुर्वेद, वास्तु, नीति वाला पुराण है।
रचना – विस्तारित स्वरूप, कई कालों में प्रसिद्धि यह भविष्य-कथाओं के लिए प्रसिद्ध है।
विशेषता:- कृष्ण और राधा के प्रेम, लीलाओं तथा प्रकृति-तत्वों का वर्णन।
विषय:- लिंग की उत्पत्ति, शिव-तत्व, उपासना विधि, अवतार
विषय:- शिव–स्कंद कथाएं, काशी, बद्रीनाथ, पुरी आदि तीर्थ भूगोल लोक परंपराएं
वामन अवतार, बली की कथा, पाताल और स्वर्ग लोक।
मत्स्य अवतार, प्रलय कथा, नगर-योजना, वास्तु, शिल्प
विशेषता:- यह परलोक, मृत्यु, कर्म, नरक यात्रा आदि का वर्णन करता है।
प्रसिद्ध भाग – आदित्य हृदय स्तोत्र, ललिता सहस्रनाम, ब्रह्मांड की संरचना, लोकों का विस्तार, देवी का महात्म्य।
कपाल पुराण – शिव के घोर रूप
वायु पुराण – वायुदेव
कालिका पुराण – कामाख्या, शक्ति
गणेश पुराण – गणेशजी की कथाएँ
व्याध पुराण – धर्म
(कुल 18)
2. यह वेदों की कठिन भाषा को सरल कथा रूप में समझाते हैं।
3. भक्ति मार्ग का आधार हैं।
4. सामान्य मनुष्यों के लिए जीवन–निर्देश देते हैं।
5. सामाजिक, धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक ज्ञान से परिपूर्ण।

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